गुरुदेव रामभद्राचार्य की जीवनी: छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के चर्चा में आने से उनके गुरु रामभद्राचार्य भी चर्चा में आ गए हैं. चित्रकूट में तुलसी पीठ की स्थापना करने वाले रामभद्राचार्य महज 2 महीने की उम्र से नेत्रहीन हैं।
इसके बावजूद वे 22 भाषाओं के ज्ञाता हैं और दर्जनों पुस्तकों की रचना कर चुके हैं। Rambhadracharya को पद्म विभूषण से भी नवाजा जा चुका है। राम जन्मभूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने रामभद्राचार्य से भगवान राम की जन्मभूमि का शास्त्रोक्त प्रमाण उपलब्ध कराने को कहा था.
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों पर्ची पर लोगों के मन की बात लिखने को लेकर काफी चर्चा में हैं. धीरेंद्र शास्त्री के कथित चमत्कार को भी चुनौती दी गई है। साथ ही धीरेंद्र शास्त्री पर जादू टोना और अंधविश्वास को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ मामला दर्ज करने की भी मांग की गई है।
हालांकि उन्हें इस मामले में क्लीन चिट दे दी गई है। रामभद्राचार्य ने अपने शिष्य धीरेंद्र शास्त्री का सार्वजनिक रूप से बचाव किया है। अब सवाल उठता है कि पद्म विभूषण रामभद्राचार्य कौन हैं? जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य चित्रकूट स्थित तुलसी पीठ के संस्थापक हैं। वह महज 2 महीने की उम्र से नेत्रहीन हैं।
रामकथा वाचक के रूप में उन्हें काफी लोकप्रियता मिली है। Rambhadracharya अल्पायु से ही नेत्रहीन होने के बावजूद अब तक 80 ग्रंथों की रचना कर चुके हैं। इसके अलावा रामभद्राचार्य 22 भाषाओं के भी जानकार हैं। उन्होंने कभी शारीरिक अक्षमता को अपनी योग्यता के सामने आने नहीं दिया।
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जगद्गुरु Rambhadracharya के शिष्य हैं। धीरेंद्र शास्त्री जब से मशहूर हुए हैं तभी से उनका रिश्ता विवादों से जुड़ा रहा है। विवाद बढ़ा तो रामभद्राचार्य ने धीरेंद्र शास्त्री का बचाव किया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग धीरेंद्र शास्त्री को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।
वहीं, पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का कहना है कि वह सनातन धर्म को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। राम जन्मभूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट के जजों ने रामभद्राचार्य से भगवान राम की जन्मभूमि के बारे में शास्त्रीय और वैदिक साक्ष्य उपलब्ध कराने को कहा था.
तुलसी पीठ के संस्थापक ने अथर्ववेद का हवाला देते हुए भगवान राम के जन्म स्थान का उल्लेख किया है। इससे सुप्रीम कोर्ट के जज भी हैरान रह गए। दरअसल, गुरुदेव Rambhadracharya से मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के उत्पत्ति का वैदिक प्रमाण मांगा गया था।
गुरुदेव Rambhadracharya ने अथर्ववेद के 10वें कांड के 31वें अनुवाक के दूसरे मंत्र का हवाला देते हुए भगवान राम के जन्म का वैदिक प्रमाण दिया। रामकथा के दौरान इसका जिक्र करते हुए रामभद्राचार्य ने कहा कि जब उन्होंने भगवान राम के जन्म और जन्मस्थान के संबंध में वैदिक और शास्त्रीय साक्ष्य पेश किए तो बेंच में एक मुस्लिम जज ने कहा था- सर आप दैवीय शक्ति हैं।
धीरेंद्र शास्त्री पर विवाद बढ़ने के बाद Rambhadracharya ने अपने शिष्य का पुरजोर बचाव किया। भोपाल में उन्होंने कहा कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री को बदनाम किया जा रहा है। आपको बता दें कि बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर कई मौकों पर इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि वे सनातन धर्म को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं. फरवरी माह में बागेश्वर धाम में विशाल यज्ञ का आयोजन होने जा रहा है।
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