भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा यानि JP Nadda का कार्यकाल 20 जनवरी को खत्म होने वाला है, ऐसे में बीजेपी का अगला अध्यक्ष कौन होगा इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है. इस रेस में कई नाम सामने आए हैं। वहीं कयास यह भी लगाए जा रहे हैं,
कि JP Nadda का कार्यकाल बढ़ाकर एक बार फिर उन्हें अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. दरअसल, इस साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और उसके ठीक बाद 2024 में लोकसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहेगी।
जनवरी के इसी माह मे BJP की, नेशनल कार्यकारिणी की मीटिंग होने वाली है. संभावना जताई जा रही है कि पार्टी इस बैठक में अपने अगले अध्यक्ष के नाम का ऐलान कर सकती है। अब सवाल यह है कि अगर नड्डा का कार्यकाल नहीं बढ़ाया गया तो पार्टी किस पर दांव लगाएगी. बीजेपी का अगला अध्यक्ष कौन होगा?
तो फिर आखिर कौन-कौन हैं BJP अध्यक्ष की दौड़ में?
इस साल उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व के राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। JP Nadda ऐसे अध्यक्ष रहे हैं जो लगभग सभी राज्यों में खुद को फिट रखते हैं. ऐसे में इस बात की प्रबल संभावना है कि उन्हें अध्यक्ष पद पर बरकरार रखा जाए।
हालांकि, अगर उनकी जगह किसी और को चुनना पड़ा तो पार्टी शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को कमान सौंपने पर विचार कर सकती है। इससे पहले भी प्रधान को पीएम मोदी कई अहम जिम्मेदारियां दे चुके हैं. राजस्थान राज्य में इसी साल चुनाव होने हैं,
ऐसे में पार्टी धर्मेंद्र प्रधान के अलावा भूपेंद्र यादव को भी पार्टी का अध्यक्ष बना सकती है. Rajya Sabha MP और सेन्ट्रल मिनिस्टर भूपेंद्र यादव पिछली बार भी प्रेजिडेंट पद के बड़े उम्मीदवार माने जा रहे थे. हालांकि जेपी नड्डा का नाम पार्टी ने फाइनल कर लिया था।
चुनाव से पहले पार्टी संगठनात्मक स्तर पर भी बड़े बदलाव कर सकती है। जानकारी के मुताबिक इन बदलावों का आधार आगामी विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव हो सकते हैं। BJP पार्टी के कई Senior Ministers को उनके Electoral States में Responsibility दी जा सकती है.
क्या फिर से प्रेसिडेंट बन सकते हैं JP Nadda?
भारतीय जनता पार्टी के संविधान के अनुसार एक व्यक्ति लगातार दो कार्यकाल के लिए अध्यक्ष बन सकता है। दरअसल, 2012 में नितिन गडकरी के लिए पार्टी ने अपना संविधान बदल दिया था और वे लगातार दूसरी बार पार्टी के अध्यक्ष चुने गए,
हालांकि भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्होंने खुद पद संभालने से इनकार कर दिया था. उस समय हुए संशोधन के अनुसार पार्टी का कोई भी सदस्य 3-3 साल के लिए लगातार दो कार्यकाल के लिए पार्टी अध्यक्ष बन सकता है।
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