Second World War History: इन दिनों एक पुराना नक्शा यूरोप में चर्चा में है। बताया जा रहा है कि इस नक्शे में उस जगह का रास्ता बना है जहां पर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मन सैनिकों द्वारा लाखों यूरो का खजाना छिपाया गया था।
आपको बता दें कि इस नक्शे के सामने आने के बाद खजाने की खोजबीन करने वाले नीदरलैंड में सोने की तलाश में जमा हो गए। जैसे ही डच नेशनल आर्काइव ने मंगलवार को यह नक्शा सार्वजानिक किया, वैसे ही ये समूह, फावड़ियों और मेटल डिटेक्टरों को लेकर, ग्रामीण ओमेरेन के आसपास के क्षेत्रों घुमते हुए पाए गए। आपको बता दें कि ओमेरेन देश के पूर्व में स्थित है।
Second World War History: नक़्शे को सार्वजानिक किया
आर्काइव ने जब नक़्शे को सार्वजानिक किया उसी दौरान बताया कि नक्शा उस स्थान का रास्ता दर्शा रहा है जहां नाजी सैनिकों द्वारा लूटे गए सोने, चांदी, माणिक, हीरे और आभूषणों से भरे चार बड़े बक्से एक विस्फोट के बाद छिपा दिए गए थे।
जर्मन सैनिक द्वारा सौंपा गया था नक्शा
जानकारी के अनुसार, एक जर्मन सैनिक ने नीदरलैंड को नाजी कब्जे से आजादी मिलने के तुरंत बाद 1945 में इस नक्शे को सौंपा था। इसी हफ्ते नक्शे वाली शोध फाइल को सार्वजनिक किया गया। दरअसल नक्शे को गुप्त रखने की 75 साल की समय सीमा पूरी हो गई है।
नेशनल आर्काइव की प्रवक्ता ऐनी-मैरीके सैमसन ने रॉयटर्स से को जानकारी दी कि खजाना है या नहीं, इस बारे में पूरी तरफ से साफ-साफ कुछ नहीं कहा जा सकता है। हालांकि इसके पहले 1947 में संस्थान द्वारा इसे कई बार खोजा गया था और असफल रहे।
वहीं सोने की खुदाई करने का शौक रखने वाले खजाने की खोज के छोटे मौके से भी निराश नहीं होते हैं। इसपर जैन हेनजेन ने कहा कि, मैं हर जगह मेटल डिटेक्टर के साथ लोगों को घुमते देखा रहा हूं। सभी की तरह मैं भी इस खबर से खोज करने के लिए प्रेरित हुआ हूं। वैसे मुझे लगता है कि 70 साल बाद भी सोने के खजाने के होने की संभावना बहुत कम है, पर फिर भी मैं कोशिश करना चाहता हूं। ओमेरेन के पूर्व महापौर क्लास टैम्स, (वर्तमान में उस फाउंडेशन को चला रहे हैं जिसके नीचे खजाना हो सकता है), ने कहा कि उन्होंने विभिन्न देशों के लोगों को यहां आते देखा है।
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