पिपलिया बुजुर्ग/मनोहर मंजुल। पिछले दिनों स्कूली विद्यार्थियों के लिए ग्रीष्मावकाश Summer Vacation की घोषणा हो चुकी है इस अवकाश का सकारात्मक लाभ कैसे लिया जाए इस बिंदु को लेकर हमारे प्रतिनिधि समाज के विभिन्न वर्गों से चर्चा की।
Summer Vacation: ग्रीष्मावकाश का लाभ इस तरह लिया जा सकता हैं
डॉक्टर गरिमा संजय दुबे का मत है कि इस (Summer Vacation) अवकाश में बच्चों को किसी स्कूल के समर कैंप की अपेक्षा अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर दिया जाना चाहिए नाना नानी दादा दादी के घर भेज कर उन्हें अपने पारिवारिक संस्कारों तथा सनातन संस्कृति से जोड़ने की कोशिश करना चाहिए इन दिनों में बच्चे तनाव एवं चिंता से मुक्त होते हैं उन्हें अपनी पारिवारिक संस्कारों से जोड़ें।
सेवानिवृत्त अध्यापक कमल नामदेव ने इस बात पर बल दिया कि ग्रीष्मा अवकाश बच्चों की प्रतिभा को तराशने का अवसर होता है उनमें जो नैसर्गिक प्रतिभा है उसे उचित मंच तथा अवसर प्रदान किए जाने की कोशिश करना चाहिए।
ग्रहणी दीप्ति सोनी का मत है कि ग्रीष्मकालीन अवकाश में बच्चों को अपने पैतृक व्यवसाय कामकाज तथा घर के रीति-रिवाजों से जोड़ने का प्रयास करना चाहिए इन प्रयासों में कोशिश यहां होती उन पर किसी भी प्रकार का मानसिक दबाव उत्पन्न ना हो सभी नैसर्गिक एवं प्राकृतिक प्रणाली को दादा दादी नाना नानी का सानिध्य मिले बच्चों को यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।
सराफा व्यवसाय एवं कृषि से जुड़े नरेंद्र चंदेल का मत है कि ग्रीष्मकालीन अवकाश (Summer Vacation) में बच्चों को ऐसे स्थानों का भ्रमण कर आना चाहिए जो ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्त्व रखते हो जैसे उज्जैन ओमकारेश्वर अजंता एलोरा महेश्वर जैसे स्थान जो सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत हैं इनसे हमारे बच्चों को परिचित कराना चाहिए ।
शासकीय सेवा में अर्चना आरस का कहना है कि ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में बच्चों को तनाव एवं दबाव से मुक्त रखकर उन्हें अपनी रुचि के मुताबिक कार्य करने देना चाहिए सावधानी यह होगी बच्चे मोबाइल एवं टी वी से दूरी बनाकर रखें इस अवकाश में बच्चों को धार्मिक ग्रंथ एवं सनातन संस्कृति से जुड़ी पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए यह सही है कि बच्चों की पढ़ने में रुचि नहीं है किंतु उन्हें छोटी-छोटी कथाओं के माध्यम से आकर्षित किया जा सकता है हमारी संस्कृति और विरासत से परिचित कराने के इस अवसर को रोचक एवं मनोरंजक ढंग से हो इस अवधि का उपयोग सकारात्मक हो।
डॉक्टर जयंत विश्वास का मत है कि इस अवधि में भीषण गर्मी होती है इसलिए भ्रमण में सावधानी रखी जाए बच्चों को प्राथमिक उपचार एवं आपात चिकित्सा जैसे मूलभूत विषयों की जानकारी भी देना चाहिए । ग्रीष्मकालीन अवकाश में बच्चों को उनकी रूचि के मुताबिक संगीत खेल एवं कला क्षेत्र में भी उचित मंच एवं अवसर प्रदान करना चाहिए।
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